वह फरसा झारखंड राज्य के टांगीनाथ में गड़ा हुआ है। टांगीनाथ धाम गुमला शहर से लगभग 75 किमी दूर है जबकि राजधानी से रांची से 150 किमी दूर है। दरअसल, झारखंड में फरसा को टांगी कहा जाता है। यही कारण है कि इस स्थान का नाम टांगीनाथ धाम पड़ गया। बताया जाता है कि आज भी भगवान परशुराम के पद चिह्न मौजूद है। कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने यहां तपस्या की थी।
चुकानी पड़ी और अपने आप मरने लगे। इस डर से लोहार जाति ने उस इलाके को छोड़ कर दूसरे जगह चले गए। लोग बताते हैं कि आज भी 15 किमी की परिधि में लोहार जाति के लोग नहीं बसते हैं।
सभ्यता और संस्कृति से भरे हुए भारतवर्ष में बहुत सी घटनाएं जो पुराणों और वेदों वर्णित है, वह आज भी कहीं न कहीं दिख ही जाती है। जी हां, द्वापर युग में फरसा के बल पर दुनिया में तबाही मचाने वाला भगवान परशुराम का फरसा आज भी मौजूद है। भगवान परशुराम ने इसी फरसा से तीन बार पूरी पृथ्वी से क्षत्रियों का नाश किया था।
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