*अब पंचायतो में नहीं चलेगी सरपंच पति*
जनप्रतिनिधियों के लिये यथा मुखिया, सरपंच , जिला परिषद, वार्ड सदस्य, समिति, पंच आदि पतियों के लिए दु:खभरी ख़बर आई है । जी हां, अगर महिला जनप्रतिनिधि के पति या अन्य कोई परिजन कामकाज कर रहा है तो उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज होगा।
अगर, इसमें महिला मुखिया, सरपंच , जिला परिषद , वार्ड सदस्य की जगह उसके पति या अन्य किसी परिजन के काम करने की पुष्टि हो जाए तो संबंधित बीडीओ के माध्यम से उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाया जायेगा। कोर्ट की मानें तो महिला जनप्रतिनिधि के लिये उनके पति के द्वारा उनके पद व गोपनीयता तथा कार्यसंस्कृति में हस्तक्षेप करने का तरीका पंचायती राज व्यवस्था के अनुकूल नही है । और राज्य सरकार को यह निर्देश सभी जिलों के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को देना चाहिये ।
इस निर्देशों में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति के पास महिला जनप्रतिनिधि यथा सरपंच, पंच, वार्ड सदस्य, समिति, जिला परिषद आदि के पति द्वारा पत्नी के बदले कामकाज करने का वीडियो या फोटोज खींचा है तो वह थाने में जाकर मामला दर्ज करवा सकता है।
पंचायत राज में महिला जनप्रतिनिधियों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उनके पतियों और परिजनों की दखलंदाजी पर अंकुश लगाने के लिए बाकायदा कानून बना हुआ है।
उन्हें बैठकों में आने से रोका जा सकता है और जरूरत पडऩे पर मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। यह कानून बने हुए कई साल हो गए। अलबत्ता कानून की जद में आने से बचने के लिए महिला जनप्रतिनिधियों के पतियों और परिजनों ने अपने नाम के आगे मुखिया, सरपंच, पंच, वार्ड सदस्य, समिति, जिला परिषद प्रतिनिधि शब्द का उपयोग शुरू कर दिया है। जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है । कानूनन प्रतिनिधि के बदले कोई अन्य कार्य करना संदेह के घेरे में हैं ।
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